बनें न लकीर के फकीर - सुनील गुप्ता

 | 
pic

 ( 1 ) बनें

     न लकीर के फकीर,

     छोड़ सभी पुरानी परंपराएं ...,

     चलें न मूँद के, आँखें यहाँ पर !!

( 2 ) चल 

      डार दे, कर का मन का 

      फेर ले तू, मन का मन का ....,

      सफल हो जाए, जीवन सभी का !!

( 3 ) सत्संग

     सूप के है समान,

     चल फटक के, त्याग कर असार ....,

     और गुरु ज्ञान से, भगाए चल अज्ञान  !!

( 4 ) अजहुँ

  तेरा सब यहाँ मिटै,

  जो जग मानै हार ....,

  हो निरभिमानी, काम क्रोध जला तू ड़ाल !!

( 5 ) चलें

      धोएं मल-मल शरीर,

      न धोएं कभी, मन का मैल ....,

      नहाए गंगा गोमती, रहे बैल के बैल !!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान