बनें न लकीर के फकीर - सुनील गुप्ता
Feb 27, 2025, 22:44 IST
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( 1 ) बनें
न लकीर के फकीर,
छोड़ सभी पुरानी परंपराएं ...,
चलें न मूँद के, आँखें यहाँ पर !!
( 2 ) चल
डार दे, कर का मन का
फेर ले तू, मन का मन का ....,
सफल हो जाए, जीवन सभी का !!
( 3 ) सत्संग
सूप के है समान,
चल फटक के, त्याग कर असार ....,
और गुरु ज्ञान से, भगाए चल अज्ञान !!
( 4 ) अजहुँ
तेरा सब यहाँ मिटै,
जो जग मानै हार ....,
हो निरभिमानी, काम क्रोध जला तू ड़ाल !!
( 5 ) चलें
धोएं मल-मल शरीर,
न धोएं कभी, मन का मैल ....,
नहाए गंगा गोमती, रहे बैल के बैल !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान