दोहे - डॉ. सत्यवान सौरभ
Mar 6, 2025, 23:33 IST
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बगिया सूखी प्रेम की, मुरझाया है स्नेह।
रिश्तों में अब तप नहीं, कैसे बरसे मेह।।
बैठक अब खामोश है, आँगन हुआ उजाड़।
बँटी समूची खिड़कियाँ, दरवाजे दो फाड़।।
कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान।
करो धर्म के नाम पर, धरती लहूलुहान।।
गैया हिन्दू हो गई, औ' बकरा इस्लाम।
पशुओं के भी हो गए, जाति-धर्म से नाम।।
आधा भूखा है मरे, आधा ले पकवान।
एक देश में देखिये, दो-दो हिन्दुस्तान।।
कैसी ये सरकार है, कैसे हैं कानून।
करता नित ही झूठ है, सच्चाई का खून।।
बदले सुर में गा रहे, अब शादी के ढोल।
दूल्हा कितने में बिका, पूछ रहे हैं मोल।।
✍ डॉ. सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका,
कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा
– 127045, मोबाइल: 9466526148, 01255281381.