चक्रवात छंद  - जसवीर सिंह हलधर

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होली का घुला है रंग, गली गली में उमंग,

रंग खेलने को आए ,यार मेरे चार जी

यार मेरे चार प्यारे ,नशे में हैं धुत्त सारे ,

पीए पैग झूम रहे ,सभी चार चार जी ।।

चार चार पैग मार,नालियों में गिरे यार ,

उनको संभालें यार ,चार चार चार जी

चार चार चार यार ,प्रश्न पे करो विचार ,

कितने हैं यार चार, चार चार चार जी ।।

 - जसवीर सिंह हलधर , देहरादून