चौपाला छंद - डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव

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अच्छे कर्मों का आयुध न्यारा।

हरदम देता अनुपम फल  प्यारा।।

शान मान यह अति पावन देता।

सारे कंटक पथ से हर लेता।।

भक्ति-शक्ति का जो आयुध पाता।

जीवन उसका स्वर्णिम बन जाता।।

ईश-कृपा है नित उस पर रहती।

सुख-वैभव की सत गंगा बहती।।

ज्ञान-बुद्धि का जो आयुध पाए।

पास सफलता खुद उसके आए।।

खुशियाँ जीवन में करें बसेरा।

वैभव लक्ष्मी का रहता डेरा।।

युद्ध-भूमि में जो आयुध होते।

बीज सदा  ही हिंसा का बोते।।

सैनिक कर में  जब आयुध रखते।

दया-भाव को तब कम ही लखते।।

- डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम,

 कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश