गढ़ीमाई उत्सव में पशु बलि रोकने के लिए भारत-नेपाल सीमा के चेक पॉइंट्स पर तैनात रहें पशु संरक्षण संगठन और सशस्त्र सीमा बल
Vivratidarpan.com पटना, बिहार— गढ़ीमाई उत्सव से पहले, ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/ इंडिया (HSI/ India) और पीपल फॉर एनिमल्स (PFA) ने भक्तों से अपील की है कि वे बलि के लिए जानवरों को न ले जाएँ। HSI/ India और PFA ने सशस्त्र सीमा बल (SSB) के साथ मिलकर भारत-नेपाल सीमा पर अवैध रूप से जानवरों के परिवहन को रोकने के लिए टीमें तैनात की हैं। जब्त किए गए जानवरों को भारतीय कानून के अनुसार सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की व्यवस्था की जाएगी। नेपाल के बारा जिले के बरियारपुर गांव में हर पांच साल में आयोजित गढ़ीमाई उत्सव को दुनिया का सबसे बड़ा पशु बलि आयोजन माना जाता है। इस ऐतिहासिक अनुष्ठान में देवी गढ़ीमाई को प्रसन्न करने के लिए हजारों जानवर, जैसे भैंस, बकरी, कबूतर और अन्य प्राणियों की बलि दी जाती है।
HSI/India के कपैसिटी बिल्डिंग डिपार्ट्मन्ट के सीनियर मैनेजर , अर्कप्रवा भर, जो सीमा पर कार्यों का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा:
“PFA के सहयोगियों के साथ, हम सीमा के चेकपॉइंट्स पर तैनात हैं और कानून प्रवर्तन अधिकारियों की मदद कर रहे हैं ताकि बलि के लिए लाए गए हर जानवर की रक्षा की जा सके। हमारा उद्देश्य केवल जानवरों के अवैध परिवहन को रोकना नहीं है, बल्कि हमारी परंपराओं में करुणा को बढ़ावा देना भी है। सीमा बलों के नेतृत्व में हम वाहनों की गहन जांच कर रहे हैं ताकि कोई भी जानवर तस्करी के जरिए सीमा पार न हो पाए। पिछले दो दिनों में हमने कई ट्रकों और वाहनों को रोका है, जिनमें भैंस, और बकरियां ले जाई जा रही थीं। अगर हम वहां न होते, तो इन जानवरों को उत्सव में बलि दी जाती। ये भाग्यशाली हैं जो इस भयावह अनुभव से बच गए। हम जितना हो सके उतने जानवरों की जान बचाएंगे और रक्त बलि को समाप्त करने का संदेश फैलाएंगे।” सीमा पर अभियान शुरू करने से कुछ दिन पहले, टीमों ने भारत-नेपाल सीमा के पास 12 गांवों में घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाया और लगभग 3,500 स्थानीय भाषा के पैम्फलेट वितरित किए, जिनमें भक्तों से अपने जानवरों की बलि न देने की अपील की गई।
HSI/India और PFA साथ मिलकर 2014 से गढ़ीमाई में जानवरों की बलि रोकने के लिए काम कर रहे हैं। उनके लगातार प्रयासों के चलते 2009 में जहां अनुमानित 5 लाख से ज्यादा जानवरों की बलि दी गई थी, वह संख्या 2014 और 2019 में घटकर लगभग 2.5 लाख रह गई, जिसमें लगभग 3,500 भैंसें भी शामिल हैं। 2014 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गढ़ीमाई उत्सव में जानवरों की बलि पर लगाम लगाने के लिए एक अहम कदम उठाया। अदालत ने भारत सरकार को नेपाल सीमा पर जानवरों के अवैध परिवहन को रोकने का निर्देश दिया। साथ ही, HSI/ India, PFA और अन्य संगठनों से एक कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया, जिसे HSI/ India तब से लागू कर रहा है ताकि अदालत के आदेशों का सही तरीके से पालन हो सके। इसके बाद,
सितंबर 2019 में, नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने गढ़ीमाई में जीवित जानवरों की बलि पर रोक लगाने का आदेश दिया और देशभर में इस प्रथा को समाप्त करने के लिए एक योजना बनाने का निर्देश दिया, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर अनदेखा किया गया है।
तथ्य: गढ़ीमाई उत्सव एक महीने तक चलने वाला उत्सव या " मेला & quot; है, जो अंत में हजारों जानवरों की बलि देने के अनुष्ठान पर समाप्त होता है।
भैंस, बकरियाँ, मुर्गे, सूअर, बत्तखें और चूहे कुंद धातु की तलवारों से काटे जाते हैं, और यह सब शराब के प्रभाव में हिंसक तरीके से किया जाता है ।
इन जानवरों की अधिकांश संख्या को अवैध रूप से भारत से नेपाल ले जाया जाता है, क्योंकि सीमा पार करना आसान है।
यहाँ नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि अधिकांश जानवरों को बिना निर्यात लाइसेंस के सीमा पार अवैध रूप से ले जाया जाता है।
बड़े पैमाने पर होने वाली बलि की घटनाएँ गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती हैं, जो उत्सव स्थल की गंदगी से और बढ़ जाती हैं। लाखों श्रद्धालुओं के लिए शौचालय की व्यवस्था न होने के कारण, वातावरण में मल, खून और मौत की बदबू फैली रहती है।
गढ़ीमाई की उत्पत्ति करीब 265 साल पहले की है, जब गढ़ीमाई मंदिर के संस्थापक भगवान चौधरी ने एक सपना देखा। सपना में देवी गढ़ीमाई ने उनसे कहा कि वे उन्हें जेल से मुक्त करने, बुराई से बचाने
और समृद्धि तथा शक्ति देने के बदले में रक्त चाहती हैं। देवी ने मनुष्य की बलि मांगि, लेकिन चौधरी ने इसके बजाय एक जानवर की बलि दी, और तभी से हर पांच साल में यह परंपरा निभाई जाती है।
HSI/ India के प्रतिनिधि साक्षात्कार के लिए उपलब्ध हैं। हमारे 2024 गढ़ीमाई सीमा कार्य की तस्वीरें और वीडियो यहाँ देखे https://pressportal.humanesociety.org/dam/contentitems/187a6611d3b747eea5eab2
330138c17a
इन विजुअल्स को डाउनलोड करने के लिए निम्नलिखित लॉगिन का उपयोग करें।
Log In -
Username: GadhimaiCampaign
Password: wRdVA_q6
मीडिया संपर्क: शैली शाह – HSI/India मीडिया रिलेशन्स स्पेशलिस्ट
फोन: 9930591005 ईमेल: sshah@hsi.org
ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल जानवरों के कल्याण की भावना को आगे बढ़ाते हुए दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में मानव और पशु के बीच आत्मीय बंधन को मजबूती देने, कुत्ते-बिल्लियों को बचाने और उनकी रक्षा करने, कृषि पशु कल्याण में सुधार करने, वन्यजीवों की रक्षा करने, पशु-मुक्त परीक्षण और अनुसंधानों को बढ़ावा देने, आपदाओं के समय राहत कार्य करने और जानवरों के प्रति सभी रूपों में व्याप्त क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए काम करती है।
हमारे कार्यों के बारे में और अधिक जानने के लिए hsi.org. पर विजिट करें। Twitter, Facebook और Instagram पर एचएसआई को फॉलो करें।