प्रांत गीत (2) – जसवीर सिंह हलधर
(ये उत्तराखंड हमारा भाग -2)
पर्वत,घाटी,नद,झरनों का, अनुपम है यहां नजारा ।
ये उत्तराखंड हमारा , ये उत्तराखंड हमारा ।।
युग युग से धर्म सनातन पर, विश्वास छुपा है घाटी में ।
वन की रक्षा करने वाला , संन्यास छुपा है घाटी में ।
पुरखों की त्याग तपस्या का, अधिवास छुपा है घाटी में ।
नगपति पर जान लुटाने का, इतिहास छुपा है घाटी में ।
संजीवनी बूटी मिली यहां, वैद्यों ने यही पुकारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा –1
मांगल, जागर, झोड़ा, खुदेड़, रम्माण गीत गाए जाते ।
बुडियात, सरों, थड़िया, भैला ,चौफला नृत्य पाए जाते ।
रणसींग, ढोल, घाना,थाली, मंजीर बजाए जाते हैं ।
मोछंग, धुमाऊं, मशकबीन ,पे गीत सुनाए जाते हैं ।
शंभू का डमरू बजे यहां,नारद जी का इकतारा ।।
ये उत्तराखण्ड हमारा ----2
सदियों से मानव जीवन का ,वनवास यहां पर दिखता है ।
तीलू रौतेली के रण का, अभ्यास यहां पर दिखता है ।
मुगलों की नाक काटने का ,इतिहास यहां पर दिखता है ।
कर्णावती कूट नीतियों का ,विन्यास यहां पर दिखता है ।
देवी, देवों की डोली हैं जो देती सदा सहारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा --3
गजराज, रीछ ,कस्तूरी मृग, बाघों का खास निवास यहां ।
गौमाता, भेड़, बकरियां हैं , काकड़ ,चीतल हैं खास यहां ।
जंगल में शूअर, बंदर हैं, लंगूरों के आवास यहां ।
मछली की भिन्न भिन्न किस्में,अजगर हैं नाग प्रवास यहां ।
खच्चर ने बोझा ढो ढो कर, घाटी का रूप निखारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा – 4
भीमाल,किलमोडा,अमलतास,शीशम है लाल बुरांस यहां ।
हैं देवदार रिंगाल,चीड़, पीपल हैं बांज, पलाश यहां ।
लीची, काफल हैं आम यहां, हर्सिल का सेब बहुत मीठा ।
आडू, अंजीर, खुमानी हैं , शहतूत , त्रिफला, सतरीठा ।
मंडुआ, झंगोरा, कुलथ, भात का भोग सभी को प्यारा ।।
ये उत्तराखंड हमारा, ये उत्तराखण्ड हमारा ।।5
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून