कविता - जसवीर सिंह हलधर

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कवि की वाणी सुनो ध्यान से, सच्चाई का भान मिलेगा ।

वक्त सही आने वाला है, बाक़ी हिंदुस्तान मिलेगा ।।

गिलगित से गारो पर्वत तक, भारत ही भारत होना है।

सेंतालिस के बटवारे पर , दोनों मुल्कों में रोना है ।।

काश्मीर से धीरे धीरे ,पाक सपोले भाग रहे हैं ।

आतंकी कुत्तों पर सैनिक ,सीधे गोली दाग रहे हैं ।।

दफा तीन सौ सत्तर धोकर ,पहला कदम बढ़ाया हमने ।

घाटी से लद्दाख अलग कर , मुद्दा कुछ सुलझाया हमने ।।

फारुख जैसे नेताओं की ,चाल नहीं चलने वाली है ।

महबूबा की अब घाटी में , दाल नहीं गलने वाली है ।।

श्रीनगर में खुला सिनेमा , दर्शक ताली मार रहे हैं ।

पाकिस्तानी आकाओं के, पिल्ले हमसे हार रहे हैं ।।

नेहरू ने जो छोड़ा था, वो सारा सामान मिलेगा ।

कश्यप कुल को अब घाटी में , खोया यश सम्मान मिलेगा ।।

जी ट्वेंटी की बैठक होगी , चीन पाक की नींद उड़ी है ।

सैलानी सैलाब आ रहा , सारी दुनिया इधर मुड़ी है ।।

निर्वाचन होने वाला है , शांति पूर्ण होगी घाटी में ।

चीन पाक की करस्तानी , चूर्ण चूर्ण होगी घाटी में ।।

चीनी कोरिडोर झमेला , दो मुल्कों की चालाकी है ।

पीओके का प्रश्न शेष है, हल होना उसका बाकी है ।।

सात दशक से बाट जोहते , गिलगिट,बल्टिस्तान हमारी ।

सिंध प्रांत भी सोच रहा है , कब आयेगी मेरी वारी ।।

अक्साई के मसले पर भी,चीन देश से अड़ना  होगा ।

दो दो देशों से भारत को, युद्ध इकट्ठा लड़ना होगा ।।

पाक मरण निश्चित है "हलधर"शव भारत में आन मिलेगा ।

जैसी चाल चीन की होगी , उत्तर उसे समान मिलेगा ।।

 - जसवीर सिंह हलधर , देहरादून