गजल - ऋतु गुलाटी
Aug 28, 2022, 23:23 IST
| दिलकशी है रूप तेरा हाय क्यो पाया नही।
यार मेरे पास है पर आज तक भाया नही।
आज हम तो छोड़ महफिल आ गये है राह मे
सोचता है दिल अरे अब प्यार में रोना नही।
यूँ तो करते प्यार तुमसे हम बड़ा सुन लीजिए।
दर्द तुम देते रहे,क्या हम करे शिकवा नही।
तड़फ तेरी आज भी हमको सताती रात में।
याद मे तेरी कदम यारा कभी बहका नही।
इश्क तेरा आज दीवाना बनाता *ऋतु हमें
हाय जुल्मी साथ तेरे अब रहा जाता नही।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़