गजल.- ऋतु गुलाटी
Aug 6, 2022, 23:07 IST
| अजी प्यार से अब पुकारा न होता
फकत जिंदगी मे तुम्हारा न होता।।
अरे क्यो यूँ पागल हुऐ है जहाँ मे।
मिला प्यार का बस सहारा न होता।
निभाते कभी साथ जीवन अजी तुम।
गमे - जिंदगी से किनारा न होता।
खिली चाँदनी आसमां में कही भी।
हँसी रात मे जब निहारा न होता।
गमें- जिंदगी मे कहाँ ? है बहारे।
मिला साथ *ऋतु को हमारा न होता।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़