ग़ज़ल - ऋतु गुलाटी
Jul 27, 2022, 23:00 IST
| आप का जब ख्याल आता है।
सपने तेरे हजार लाता है।
देखती अक्स नींद में तेरा।
इश्क तेरा बड़ा सताता है।
यार है क्या गुनाह भी मेरा।
नींद मे याद अब रुलाता है।
दूर रहना कठिन तुम से जी।
पास हमको अजी बुलाता है।
भूलुँ कैसे अदा तुम्हारी भी।
हाय दिल भी हमें सताता है।
दूरियाँ बढ़ रही जमाने की।
प्यार बाकी यकीं दिलाता है।
मान ले *ऋतु दुखी बराबर है।
दर्द मीठा बड़ा ही भाता है।
ऋतु गुलाटी,ऋतंभरा, चंडीगढ़