ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Nov 14, 2023, 22:35 IST
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चाहत भी अब तुम्हारी फिर बात क्या कहे हम,
दिखती है आज सूरत जज्बात क्या कहें हम।
छिनता है हक दुखी का गमगीन लोग देखे,
खैरात को भी तरसे औकात क्या कहें हम।
रोते है रात भर हम बैठे है जब अकेले,
ऐसे मे अपने दिल के हालत क्या कहें हम।
रोता रहा है दिल अब आँखो मे आज पानी,
भीगे हैं याद तेरी बरसात क्या कहें हम।
हमने वफा निभाई होकर पिया तुम्हारे,
देना है आज तुमको सौगात क्या कहें हम।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़