सैल्यूट तुझे रवीश - अनुराधा पांडेय

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डिगे रहे तुम गर्व से, किया नहीं व्यापार।

 धन्य धन्य हठधर्मिता,झुका दिये सरकार।।

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माना शातिर तुम मियां,हिला दिये सरकार।

भक्त भले ही कर रहे, बढचढ़ कर प्रतिकार।।

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सच हो उत्पाती बहुत, खबरें देते झूठ।

तभी भक्त के साथ में, गयी "केसरी" रूठ।।😀

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माँ बहन से रचित खचित गाली खाते रोज।

मगर बड़े निर्लज्ज तुम,फिर भी देते नोज।।

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पानी में रहकर मियां, किये मगर से बैर।

जहर डाल रचते खबर, खुदा करें अब खैर।।

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तुम भी अकड़ू थे बहुत, बेचा नहीं इमान।

अहिर बहिर के संग तुम,बने तुगलिया खान।।

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चैनल पर तुम बैठकर, रखते मन की बात।

विधिवत चौकीदार पर, मिथ्या करते घात।।

- अनुराधा पांडेय, द्वारिका , दिल्ली