गीतिका - मधु शुक्ला
Dec 5, 2024, 21:20 IST
| व्यस्तता से हो गया है क्यों हमें अति प्यार,
क्योंकि भौतिक साधनों का चाहिए अम्बार।
हैं सभी उपलब्ध साधन खो गया है चैन ,
मीत सच्चा अब हमें लगने लगा व्यापार।
अब न हमको रह गई है प्रेम की पहचान,
ढूॅ॑ढ़ता रहता सदा मन मात्र धन बौछार।
शांति के दो पल न जो धन दे हमें वह व्यर्थ,
चुन रहे हैं किस लिए फिर आप ये अंगार।
तय करें श्रम तालिका हम स्वस्थ जीवन हेतु,
दीर्घ , मंगल जिंदगी का 'मधु' यही आधार।
---- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश